हंस बुद्धि अपनाओ
हंस बुद्धि अपनाओ देवतुल्य कहलाओ
दुनिया के दलदल में, फंसकर कुछ न पाओगे अपनी आत्मा पर तुम, और ही दाग लगाओगे
बगुला बुद्धि वाले भी, सारी दुनिया में भरे पड़े अगर गौर से देखो तो, वास्तव में सब मरे पड़े
चरित्र बड़ा बुरा इनका, अवगुण की गंद खाते सुअर समान कीचड़ में, स्वयं को ही लिपटाते
फर्क देखो हंस बगुले में, त्वचा दोनों की गोरी बगुला मन का मेला है, हंस की बुद्धि है कोरी
बगुले रहते दलदल में, उपवन की शोभा हंस गौर से खुद को पहचानो, क्या है तुम्हारा वंश
बुद्धि का बगुलापन, तुम्हें चरित्रहीन बनायेगा अवगुणों के दलदल में, ज्यादा तुम्हें धंसायेगा
सबके मन बुद्धि में, केवल भरे हैं पांच विकार अपने अंदर देखो, तो पाओगे तुम यही विकार
अवगुणों की कौड़ियां, फेंको एक एक चुनकर जाल टूटता जायेगा, जो रखा है तुमने बुनकर
बनेगा जो सम्पूर्ण पवित्र, हंस वही कहलायेगा हीरेतुल्य उसका जीवन, सबको नजर आयेगा
चुन लो हंस चरित्र, ये अवगुण सभी मिटाएगा साधारण मानव से तुम्हें, ये देव तुल्य बनायेगा
ॐ शांति
मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर, राजस्थान मोबाइल नम्बर 9460641092
hema mohril
28-Feb-2024 10:24 AM
V nice
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RISHITA
26-Feb-2024 04:52 PM
Amazing
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Mohammed urooj khan
26-Feb-2024 01:23 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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